मोदी , शी जिनपिंग और व्लादिमीर पुतिन एक साथ



जब मोदी, शी जिनपिंग और पुतिन एक साथ किसी मंच पर आते हैं, तो इसका मतलब होता है कि कोई बड़ा कूटनीतिक या भू-राजनीतिक कदम होने वाला है।


Modi Jinping Or Putin Ki Dosti




Article Aim:



मोदी, पुतिन और जिनपिंग अब मिलकर क्या नया करने वाले हैं और हमें किन मुद्दों पर नज़र रखनी चाहिए – इस आर्टिकल में इन्हीं विषयों पर विस्तार से चर्चा करेंगे।





1. मोदी का चीन में जबरदस्त स्वागत



प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का हाल ही में चीन में जोरदार स्वागत हुआ। तियांजिन में भारतीय समुदाय और चीनी नागरिकों ने मोदी का अभिवादन किया। सांस्कृतिक प्रस्तुतियों जैसे कथक और ओडिसी नृत्य ने इस आयोजन को खास बना दिया। यह केवल स्वागत नहीं था, बल्कि यह दिखाता है कि भारत की global image अब चीन जैसे देशों में भी मजबूत होती जा रही है।





2. तीनों नेता और ट्रंप के खिलाफ एक्शन



Donald Trump की policies खासकर tariff और trade war अब एशियाई देशों के लिए बड़ी चुनौती बन चुकी हैं। मोदी, पुतिन और जिनपिंग अगर एकजुट होते हैं, तो वे अमेरिका की monopoly को कमजोर कर सकते हैं। ये तीनों देश मिलकर dollar dependency को कम करने और trade को local currencies में बढ़ाने की कोशिश कर सकते हैं। यह कदम सीधा ट्रंप की नीतियों को challenge करेगा।





3. BRICS को इस meeting से क्या फायदा



BRICS पहले से ही emerging economies का सबसे बड़ा platform है। इस meeting से BRICS को नया momentum मिल सकता है। Energy, defense और digital economy में नए agreements global south के लिए positive साबित हो सकते हैं। इससे developing countries को एक नया option मिलेगा और G7 जैसी western groups का दबाव कम होगा।





4. India-China और India-Russia संबंध



इस बैठक का सबसे बड़ा सवाल यही है कि India को कितना फायदा होगा।


  • India-China Relations: Border issues अभी भी sensitive हैं, लेकिन अगर trade और investment बढ़ता है तो India को बड़ा market मिलेगा।
  • India-Russia Relations: Russia पहले से energy और defense में partner है। इस meeting से नए oil और gas deals possible हैं।
  • Fayda: Cheap energy, defense technology, bigger trade.
  • Nuksan: अगर China पलट जाए या trust issue आए, तो India को नुकसान भी उठाना पड़ सकता है।






5. America इस meeting को कैसे देखेगा



America इस meeting को lightly नहीं लेगा। US हमेशा चाहता है कि India उसके साथ रहे। लेकिन Modi का China और Russia की ओर झुकाव Washington के लिए चिंता का विषय है। America इसका जवाब ज्यादा tariffs, strategic deals या India पर pressure डालकर दे सकता है।





6. इस meeting की सच्चाई और Chanakya Neeti



इतिहास गवाह है कि मुश्किल समय में बने रिश्ते ज्यादा लंबे नहीं टिकते। China की policies unpredictable हैं। Chanakya Neeti यही कहती है कि “Dukh mein bane sambandh aksar swarth ke hisaab se badalte hain.” इसलिए यह देखना जरूरी है कि ये दोस्ती temporary है या long term strategy। India के लिए यह एक अवसर है, लेकिन साथ ही जोखिम भी है।





7. Final Discussion: क्या India अपने goals की ओर बढ़ रहा है?



आखिरकार सवाल यही है – क्या India अब America के खिलाफ अपने options बना रहा है? Modi, Putin और Jinping की यह meeting symbolic भी है और strategic भी। India को global south का leader बनने का मौका मिल सकता है। लेकिन इसका असर तभी होगा जब ये दोस्ती लंबे समय तक टिके और केवल photo-op तक सीमित न रहे।





Conclusion



मोदी–जिनपिंग–पुतिन की चीन में meeting global politics का बड़ा मोड़ हो सकती है। यह meeting न सिर्फ Trump को सीधा जवाब है, बल्कि यह multipolar world order की दिशा में एक नया कदम भी है। अब नजर इस पर होगी कि क्या India इस अवसर को अपने long-term national interest के लिए convert कर पाता है या यह केवल short-term diplomacy बनकर रह जाएगी।


आपका प्यारा विलासनंदन 🙏🙏






Post a Comment

Previous Post Next Post

Contact Form